यह कैसी असमानता …?

यह दुनिया भी अजीब है क

भी सोचता हूँ ….इस दुनिया की यह कैसी रीत कैसी असमानता : कोई बिना छत के खुश हैं तो कोई होते हुए भी दु:खी , किसी को खाना तक नसीब नहीं, तो कोई खा-खा कर परेशान हैं…. कोई फुटपाथ के कंटरीले धरातल को आशियाना बनाने को मजबूर हैं तो किसी को डल्लव के गद्दों पर भी कमर दर्द होता है। किसी के लिए वातानुकूलित सुविधाओं की भरमार है तो, कोई बलदते हुए वातावरण की चादर में लिपट रहा, यहाँ तक की अब स्थिति विपरीत है यहाँ कई इंसान आशियाने के लिए भटक रहे हैं ….. वहीं कुत्तों की मौज है …!!

आपकी प्रतिक्रिया आपेक्षित है …..

!!!!हिन्द!!!!

– देव नेगी