!! इन्सान एवं इन्सानियत !!
कभी आपने सोचा है कि इन्सान क्या है? और इन्सान की इन्सानियत क्या है? इन्सान का जीवन क्या है? इन्सान का अस्तित्व क्या है?? अगर कोई गहराई से सोचे आज का इन्सान क्या बन गया है. हर कोई बस अपने बारे मे सोचता है. अपने स्वार्थ के लिये दूसरो को दुख: पहुँचाता है. दूसरो को नुकसान पहुँचाता है, पर लोग ऐसा कुछ नहीं सोचते है ऐसा क्यों करते है.? कुछ लोग का उद्धेष्य होता है कि दूसरो का भला करना, और कुछ लोगो की आदत होती है दूसरो को नुकसान पहुँचाना. जो मनुष्य दूसरो का भला करता है आज के जमाने मे सब उससे जलने लगते है. अगर कोइ व्यक्ति अच्छा कार्य करता है तो लोग उसकी बुराई करने के बाज नहीं आते क्योंकि लोगो को अच्छा काम पसन्द ही नही कुछ लोग खुद तो कुछ कर नहीं पाते और दूसरो को भी नही. करने देते. !
आज कल गाँवों मै इन्सानियत थोडी बहुत जिन्दा है परन्तु आज कल शहरों मैं इन्सान सबसे भत्त्तर जिन्दगी जीते है. मै अपने पडो़सियो को नहीं जानता मेरा पड़ोसी मुझे नहीं जानता शहरो मे इन्सान अपने को भूल जाता है. कोई भी जिन्दगी का मतलब नहीं समझता सायद शहरों मे लोगो के पास पैसा ज्यादा होता है इसी लिये वो पैसे को हे जिन्दगी समझ लेते है. पर वो ये भूल जाते है पैसा इन्सान की जरूरत है.. पैसे की जरूरत इन्सान नही. लोग आज कल यही समझते है कि जिसके पास पैसा है वही सबसे बड़ा है. परन्तु लोग ये भूलते जा रहे है कि सबसे बडी़ है इन्सानियत एवं खुशी अगर आपके पास पैसा है और आप खुश नहीं है तो आप क्या करेगे उन पैसों का?? या तो दुःख मै शराब पियेंगे किसी (पब) में होगें सिगरेट पियेगें और कुछ दिनों के बाद आप अस्पताल मे होगें! अब बताइये क्या काम आया आपका पैसा?? अगर आप खुश है आपके पास पैसा नही है य कम है तो आप कुछ काम करके कमा सकते हो. परन्तु सुखी एवं खुश तो रह सकते है. और कह्ते है न सुख एवं खुशी से बड़्कर कोइ धन नहीं !!! लोग सोचते है कि मेरे पास बहुत पैसा है और मै कुछ भी कर सकता हूँ। मेरे बराबर कोई नहीं है मै सबसे बडा़ हूँ। तो वो हमारे लिये क्या है? अपने लिये है जो भी है हमारे किस काम है उसका पैसा है तो उसके लिये है. में सोचता हूँ कि सबसे बडा़ सिर्फ़ एक है वो भगवान है जो सबके पालन हार हैं अद्र्श्य रह कर भी सबके पालन हार है.! जगत के रचियता है जिन्होने ये श्रिष्ठि बनाई है और सब प्राणी मात्र एक समान है. कोई बडा़ नहीं है न कोइ छोटा है ! सब अपने मे बडे़ है.!
हाँ मैं मानता हूँ कि पैसा इस जमाने मे सबसे महत्वपूर्ण है. हमारी आज की जिन्दगी मे पैसा की अहम भूमिका है. पैसे से आज हमारी हर जरूरत पूरी होती है. बहुत मायने रखते है पैसे हमारे जीवन में परन्तु इसका ये मतलब तो नहीं कि आप इन्सानियत भूल जाये. वो इन्सान ही क्या जो दूसरों के काम ना आये? इन्सान का मुख्य उध्देश्य है कि इस संसार मे कितने भी प्राणी मात्र है सबकी मदद करना परन्तु आज स्थिति उलटी हो गयी है. लोग इन्सानियत भूल गये है।
अगर आज कोई भी भला बोलता है या लिखता है तो लोग उसे कई बातें सुनाते है. कई बातें बोलते है. क्योंकि अपनी हकीक़त जानना बडा़ दुखदायी होता है और लोगो से ये सहन नही होता. आज कल कई लोग धर्म के नाम पर जाति के नाम पर आपस मै दगे करवाये जाते है कै बेकसूर लोगो की जिन्दगी खतम हो जाती है पर इसके जिम्मेदार कौन?? किसी एक समाज के नाम पर ठेकेदारी वाले समाज के ठेकेदार के कारण कई बच्चे अनाथ कई विधवा एवं कई घर बरबाद हो जाते है. कहाँ है ईन्सानियत?? बस हैवान बने है. फ़िर भी सभी लोग चुप रहते है हमारे देश मैं कई बार आतंकवादी हमले हुये है कितने लोग मारे गये है पर हमको क्या?? हमारा क्या जाता है?? क्योंकि हमें अब आदत हो गयी है. जिन पर वो कहर टूटता है उनसे पूछिये कितनी तक्लीफ़ होती है जब कोइ अपना छोड़ कर चले जाता है.. पर उनका दुःख कोई नहीं समझ पाता है. जमझेंगे भी कैसे इन्सानियत तो मर गयी है. आज हम अपने असतित्व को खोते जा रहे है हमें जरूरत है सोचने की हमे जरूरत है बदलाव की ..!
में तो आप लोगों से यही वितनी करूँगा किसी असहाय की मदद कीजिये, और अपने अन्दर इन्सानियत ज़िन्दा ज़रूर रखियेगा !!
!!!*धन्यवाद*!!!
****~!~*देव*~!~****
!!!!जय हिन्द!!!!